Tuesday, 10 March 2009
भगवान के लिए मेरी पत्नी को बचा लीजिये डॉक्टर…….|
अन्दर हाल की चकाचौंध और जलते-बुझते बल्बों को देखकर दीनू की आँखें चुंधिया जाती है | वह वाही खड़ा हो जाता है और हाल के वातावरण पर नजर दौड़ता है |
पार्टी में आनंद का माहौल था, शराब, कबाब और शबाब तीनों का अच्छा मिश्रण बना हुआ था जो लोगों को आनंदित कर रहा था |
दीनू पूरे हाल में नजर दौड़ता है | परन्तु उसे डॉक्टर साहब कही नजर नहीं आते, वह अपनी तरफ़ आते एक व्यक्ति को देखता है जो हाथों में ट्रे लिए हुए था जिसमे शराब के खली कप रखे थे , शायद वह कोई नौकर था |
दीनू (हाथ जोड़ते हुए) -”राम-राम भैया|”
नौकर -”राम-राम कहो किस्से मिलना है |”
दीनू - “भैया मुझे डॉक्टर साहब से मिलना है | मेरी पत्नी बहुत बीमार है |”
नौकर (उँगली से इशारा करते हुए) -”वों वहाँ उस कोने में उस औरत के साथ डॉक्टर साहब खड़े है |”
दीनू डॉक्टर साहब की तरफ़ दौड़ पड़ता है | डॉक्टर साहब मिसिज खन्ना के साथ हाथ में शराब का जाम लिए खड़े थे | मिसिज खन्ना भी होठों में सिगरेट दबा ये डॉक्टर साहब से हँस-हँस के बातें कर रही थी, कभी -कभी बीच-बीच में डॉक्टर साहब के जाम से एक आध घूँट शराब की भी भर लेती थी |
दीनू दौड़ते हुए डॉक्टर साहब के पैरो में गिर पड़ता है | वह डॉक्टर साहब के पैरो को पकड़ लेता है |
-”डॉक्टर साहब मेरी पत्नी को बचा लीजिये, भगवान के लिए मेरी पत्नी को बचा लीजिये डॉक्टर, वह चारपाई पर पड़ी तड़प रही है |” दीनू जोर-जोर से रोने लगता है | उसके रोने की आवाज से पूरा हाल गूंज उठा था | लोगों ने दीनू के रोने की आवाज सुनी तो पूरा हाल शांत हो जाता है |
डॉक्टर साहब चिल्लाते हुए बोले -”अरे तू फिर आ गया मैंने कहा था मैं अब नहीं देखूँगा, सुबह को आ जाना, छोडो मेरे पैर को|”
दीनू पैर नहीं छोड़ता बोला -”सुबह तक तो वह साहब मर जायेगी |”
-”मर जायेगी तो मर जाने दो, तुम जैसे सैकड़ों आते है यहाँ|”
दीनू जोर-जोर से रो रहा था, आंसुओ से उसका कुरता गीला हो गया था | हाल में उपस्थित अधिकारी गण और अन्य व्यक्तियों को उसकी हालत पर तरस नहीं आता ,वे पैरो टेल कुचलती इस गरीबी को देख रहे थे |
कुछ दूर पर खड़े डॉक्टर खन्ना दीनू को देखकर आग बबूला हुए जा रहे थे बोले -” जाने कहा से आ गया मनहूस , सरे रंग में भंग दाल दिया, जाहिल गावर कही का | अरे कोई है यहां जो इस गवार को बहार निकल सके |”
दो नौकर दौड़ते हुए आते है -”जी साहब “
-”इसे बहार निकालो यंहा से |”
वे दोनों खींचकर दीनू के हाथो को पकड़ लेते है | लेकिन दीनू डॉक्टर साहब के पैरो को पकडे रहता है | वे दोनों उसे खीचकर डॉक्टर साहब से अलग करते है और उसे मरे कुत्ते की तरह से फर्श पर घसीटते हुए चलते है | और फ़िर किसी कूडे की भांति उसे हाल से बहार फेंक देते है |
पूरा उपन्यास पढ़ने पके लिए यहाँ चटका लगाये
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1 comment:
nice
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