Sunday, 15 February 2009
दीनू गार्ड के पाँव पकड़ लेता है, उसकी आंखें भर आई थी |
दीनू बैलगाड़ी को खड़ी करके डॉक्टर साहब के मकान की तरफ़ दौड़ता है | वह दरवाजे को जोर-जोर से खटखटाता है | कुछ देर बाद दरवाजा खुलता है तो एक दस बारह साल की लड़की आती है |
दीनू -”बेटी डॉक्टर साहब है क्या?”
लड़की -”नहीं पापा तो पार्टी में जा चुके है |”
दीनू -”पार्टी कहा चल रही है बेटी ?”
लड़की -”वहाँ देखो जंहा वह लाल बल्ब जल रहा है |”
दीनू तेजी से उस हाल की तरफ़ चल देता है जहाँ पार्टी चल रही थी | दीनू का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, उसके पैर तेजी से हाल की तरफ़ बढ़ रहे थे | फुलवा के चिल्ला ने की आवाज इतनी दूर भी उसे स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी | हाल के बहार हाथ में डंडा लिए एक गार्ड खड़ा था | वह दीनू को रोक लेता है |
“अरे ऐ कहा घुसे जा रहे हो ?”-गार्ड ने कड़क आवाज में पूछा |
-”भैया मुझे डॉक्टर साहब से मिलना है | मेरी पत्नी बहुत बीमार है |”
-”नहीं डॉक्टर साहब पार्टी में व्यस्त है, वह अब किसी को न देखेंगे |”
दीनू (हाथ जोड़ते हुए ) - “भैया बुला दो ना, भगवान तुम्हारा भला करेगा, मेरी पत्नी की दर्द के मारे जान निकली जा रही है | मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा |”
गार्ड -”अच्छा ठीक है देखता हूँ |”
गार्ड अन्दर चला जाता है दीनू बहार दरवाजे पर खड़ा रहता है | कुछ देर बाद गार्ड आता है |
दीनू ( उत्सुकता से ) - “क्या कहा भैया डॉक्टर साहब ने ?”
गार्ड - ” वे नही आ सकते कहा है सुबह को देखंगे |”
दीनू के कानों में फुलवा के चिल्ला ने की आवाज अब भी आ रही थी, जो दीनू के दिल की बेचैनी को बढ़ा रही थी |
दीनू -”भैया , मुझे जाने दो न डॉक्टर साहब के पास, मै उनकी ख़ुशामद करके उन्हें जरूर बुला लाउंगा |
गार्ड -”नहीं,नहीं खन्ना साहब ने अन्दर आने के लिए मना किया है |”
-”जाने दो ना भैया मै तुम्हारे पाँव पड़ता हूँ ” दीनू गार्ड के पाँव पकड़ लेता है, उसकी आंखें भर आई थी |
गार्ड -” ठीक है, ठीक है,मेरे पाँव छोडो लेकिन यदि कुछ उलटा सीधा हुआ तो उसके तुम जिम्मेदार होंगे |”
दीनू खड़ा होता है और दरवाजा खोलकर अन्दर चला जाता है
पूरा उपन्यास पढ़ने पके लिए यहाँ चटका लगाये
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