Monday, 8 December 2008

फ़ुलवा चारपाई पर पडी प्रसव पीडा से कराह रही थी |


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सावन का महीना था और बारिश का मौसम चल रह था ।फ़ुलवा चारपाई पर पडी प्रसव पीडा से कराह रही थी ।पड़ोस की कुछ अनुभवी स्त्रिया भी उनके पास थी ।दोपहर के तीन बजने को आ चुके थे |लेकिन फ़ुलवा कि तबीयतमें कोई सुधार न था ।उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी ।हरिया और दीनू बाहार नीम के पेड के नीचे बैठे हुक्कापी रहें थे ।पारो दौडती हुई आती है |

हरिया से - “ क्यों जी फ़ुलवा की तबीयत खराब होती जा रहीं है ,सुबह से शाम होने को आयी लेकिन कोई मुनाफा नजर नहीं आता,मेरी मानो तो फ़ुलवा को शहर ले चलो”|

हरिया - “ क्यों दीनू तुम किया कहते हो ? “

दीनू - “हा भैया में भी यही सोच रहा था “|

दीनू बैलगाड़ी में बैल जोत देता है तो सभी फ़ुलवा को चारपाई सहित बैलगाड़ी में लिटा देते है ।पारो कुछ कपड़े ओरअन्य आवश्यक सामान बैल-गाड़ी में रखती है ओर सभी शहर कि तरफ चल देते है |

वे लोग टेढे-मेढे ओर उचे-नीचे रस्ते से होते हुए तीन चार घण्टे बाद शहर पहुँच जाते है । शहर के बाहर सरकारी अस्पताल था,दीनू बैलगाड़ी को अस्पताल के अन्दर ले जाकर रोक देता है ।पारो ओर हरिया फ़ुलवा के पास रहते है

तो दीनू उतर कर अस्पताल के अन्दर पहुँचता है ।उसे अस्पताल में कोई नजर नहीं आता,दूर कोने में एक चारपाई पड़ी थी,चारपाई पर अस्पताल का एक कम्पाउन्डर पड़ा बीड़ी पी रहा था ।

दीनू -” क्यों भैया डाक्टर साहब नहीं है किया ?”

कम्पाउन्डर -”घर जा चुके है ।”

दीनू -”भैया मेरी पत्नी बहुत बीमार है डाक्टर साहाब को बुला दो ना।”

कम्पाउन्डर -”में नहीं जाता तुम्हें जाना है तो वों सामने पीला मकान डाक्टर साहब का ही है बुला लाओ।”

दीनू ने कुछ देर कम्पाउन्डर की तरफ़ देखा और फिर वह डॉक्टर साहब के मकान की तरफ़ चल देता है | वह दरवाजे पर पहुँच कर दरवाजा खटखटाता है | कुछ देर के बाद दरवाजा खुला |

-”क्या है? क्यों दरवाजा तोडे जा रहे हो ?”-डॉक्टर साहब दरवाजा खोलते की चिल्लाये |

दीनू (हाथ जोड़ते हुए ) -”डॉक्टर साहब मेरी पत्नी को बच्चा लीजिये,हम लोग दूर गाँव से आये है | वह बहुत बीमार है साहब |” दीनू की आँखें भर आई थी |

डॉक्टर साहब (झुंझलाते हुए ) - “मेरे पास समय नहीं है | डॉक्टर खन्ना के यहाँ मुझे पार्टी में जाना है | कही और ले जाओ ,जाने कहा से चले आते है ,गंवार कही के |” यह कहते हुए डॉक्टर साहब दरवाजा बंद कर लेते है |

दीनू ने जवाब सुना तो वह वापस दुखी होकर चल देता है वह निराश होकर कम्पाउन्डर के पास आता है और बोला -”भैया शहर में कोई दूसरा अस्पताल भी है किया |”

कम्पाउन्डर -”हाँ है अंदर शहर में एक प्राइवेट नर्सिंग होम है |” दीनू के दिल को कुछ धीरज बाँधता है |वह उधर बैलगाड़ी की तरफ दौड़ता है जंहा फुलवा करह रही थी |
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